शिक्षाविद और अध्यापिका  शिवानी त्रिपाठी और शिक्षा शास्त्री व समाजसेव दीप्ती चावला के द्वारा स्थापित 'यूविया डे आइडिया विचार मंथन' एक शिक्षण मंच है। यह शिक्षकों की क्षमता व मूल्यों में वृद्धि करने पर केंद्रित है। संस्था का प्रमुख लक्ष्य विश्व की अधुनातन शिक्षा पद्धतियों से आज के शिक्षकों को परिचित कराना है। उनकी पहुँच वैश्विक मंच पर स्थापित करना तथा उनमें आंतरिक सहयोग विकसित करना है। इसी क्रम में संस्था द्वारा 'आर्ट आफ ब्रांडिंग' और 'व्यक्तित्व के सम्यक प्रक्षेपण' पर अपना पहला अनलाइन सम्मेलन व्याख्यान 26 जून को आयोजित किया। इसमें दिल्ली पब्लिक स्कूल गौतमबुद्धनगर, नोएडा की प्रधानाचार्या सुप्रिति चौहान तथा नार्थ कैलिफोर्निया, अमेरिका से 'वरिष्ठ नेतृत्व प्रशिक्षक' श्रीमान अपूर्व शर्मा ने व्याख्यान दिया। सीमित सीटों के इस हाउसफुल कार्यक्रम में दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, मसूरी, चेन्नई, अबु-धाबी से लेकर अमेरिका तक के शिक्षाविदों और प्रधानाचार्यों ने भाग लिया। 'आर्ट ऑफ ब्रांडिंग' पर सत्र की शुरुआत करते हुए श्रीमती सुप्रीति चौहान ने कहा, "सबसे पहले तो हमें ये समझने की ज़रूरत है कि हम शिक्षकों को ब्रांडिंग की ज़रूरत क्यों है? असल में अलगाव और अंतर्मुखीपन से कोई विकास नहीं होता। शिक्षा के संसार में हम सभी काम सहयोग और समन्वय के आधार पर ही करते हैं। यही वो प्रक्रिया है जिसमें उत्सुकता, ईमानदारी, पारदर्शिता और पेशेवर कार्यशैली से हमारा व्यक्तित्व भी निखरता है। जब हम अपनी व्यक्तिगत क्षमताओं का पेशेवर और समाज भावना के विकास के लिए एक साथ प्रयास करते हैं, तब जाकर हमारी समाज भावना का असल मायनों में विकास संभव हो पाता है। तभी हमारी ब्रांडिंग भी हो रही होती है। ऐसे में समय के साथ ब्रांडिंग की आधुनिक तकनीक को समझना और दूसरे शिक्षकों तक पहुँचाना भी बहुत ज़रूरी हो जाता है। इसके लिए उन्होने युवाओं को बहुत से लिंक भी बताए। इसके बाद अपूर्व शर्मा ने व्यक्ति के व्यवहार पर ज़ोर देते हुए उसके मौलिक, ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ, जिम्मेदार और सहयोगी पक्ष को उभारने के तरीके बताए। आजकल के पेशेवर समाज में सफलता के लिए पारदर्शिता बहुत आवश्यक है। आपका सही परिचय सबको मिले इसके लिए अपनी अनलाइन प्रोफाइल का सम्पूर्ण परिचय सत्यापित और आपकी विस्तृत व्याख्या करता हुआ होना चाहिए। स्वयं को क्षमताओं से लैस करने की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए उन्होने कहा कि, "लक्ष्य से कभी मत भटकिए और अपनी क्षमताओं को समझते हुए उन्हें और उभारते रहिए, आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।" अपने पहले ही आयोजन में संस्था को अप्रत्याशित सफलता मिलने से उत्साहित संस्थापिका शिवानी त्रिपाठी का कहना है, "हमारा आरंभिक लक्ष्य भारत के शिक्षकों और शिक्षा व्यवस्था पर काम करने का था। 'विचार मंथन' को अपने पहले ही कार्यक्रम में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सफलता और पहचान मिल रही है। हम ज्यादा से ज्यादा लोगों तक मुहिम को पहुँचाना चाहेंगे।"

Comments

Popular posts from this blog