महामारी का समय बीत जाएगा जो खोया उसकी भरपाई कोई नहीं कर पाएगा और बुरे वक्त में कहावत है डूबते को तिनके का सहारा इसी कहावत को सच में बदला प्रताप सिंह ने जिनका नाम बड़ा नहीं है जिनका काम इंसानियत के लिए एक मिसाल है दिन हो या रात हमेशा रक्तदान डिमांड के अनुसार करने के लिए चौबीसों घंटे तैयार रहते हैं ब्लड बैंक चला कर कई वर्षों से प्रताप ने मानवता की सेवा की हजारों पीड़ितों को प्लाज्मा और रक्तदान की व्यवस्था करवा कर उनकी जान बचाई मानवता के इतिहास में इनका नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा समाज को इन पर नाज है

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