यूविया डी एडिया...विचार- मंथन दे रहा है समाज को नया स्पंदन। विचार मंथन : कोरोना काल में कक्षा 12 के छात्र एक और जहाँ इस भयानक वैश्विक महामारी कोरोना ने समस्त विश्व को अपनी चपेट में लिया हुआ है, वहीऺ सुनहरे भविष्य निर्माण के मुहाने पर खड़े कक्षा 12 के छात्रों का भविष्य क्या होगा, यह है अभी भी चिंता का विषय बना हुआ है। सीबीएसई और सरकार क्या निर्णय लेगी? बच्चों की परीक्षाएँ करवाई जाएँगी अथवा नहीं, क्या विषयगत या बहुविकल्पात्मक परीक्षा कराई जाएगी? क्या बच्चे फिर से स्कूल में बैठकर परीक्षा दे पाएँगे या ऑनलाइन तरीके से ही परीक्षा कराई जाएगी? क्या छात्रों को सालभर स्कूल में किए गए ऑनलाइन कार्यों का कुछ वेटेज मिलेगा? इन सभी प्रश्नों के बीच बच्चों की सुरक्षा, उनके स्वास्थ्य और उनके भविष्य के बारे में अभिभावक लगातार चिंता में रहते हैं। बच्चों के भविष्य के बारे में इन सभी चिंताओं के ऊपर ‘युविया डी आइडिया’ संस्था के तत्त्वधान में एक ऑनलाइन ‘विचार मंथन’ का कार्यक्रम आयोजित किया । इसमें विभिन्न प्रबुद्ध वर्ग शिक्षकगण, अभिभावकगण, छात्रों ने प्रतिभाग किया। इस विचार मंथन में होसुर पब्लिक स्कूल, तमिलनाडु की प्रिंसिपल डॉ वी बिंदू (सीबीएसई नेशनल बेस्ट प्रिंसिपल अवार्डी, 2019) कैम्ब्रिज स्कूल, श्रीनिवासपुरी, दिल्ली की प्रिंसिपल श्रीमती अपर्णा सीबालुक, अकादमिक इंजीलवादी (Evangelist), यूट्यूब पर आई बिग वंडर और ईडीजीई अकादमी, कोटा की निदेशक डॉक्टर सपना अग्रवाल, श्रीमती काजल छटीजा, कार्यकारी निदेशक, गायत्री ग्रुप ऑफ स्कूल्स, संस्थापक एडुड्रोन - वी कनेक्ट पुणे और क्षेत्रीय निदेशक ग्लोबल सीईआईआर, अनुभवी शिक्षाविद्, प्रशिक्षक और परामर्शदाता डॉक्टर सुमति सिंह आदि ने पैनल के तौर पर प्रतिभाग किया । कार्यक्रम का संचालन ‘युविया डी आइडिया’ संस्था की सह संस्थापक श्रीमती शिवानी त्रिपाठी (एकेडमिक डायरेक्टर , सेंट जॉर्ज स्कूल, नोएडा ) और श्रीमती दीप्ति चावला (वरिष्ठ शिक्षाविद), विनीता शर्मा (कंप्यूटर साइंस), एरियन चौहान आदि ने किया। विनीता शर्मा HOD Computer Science सेंट टेरेसा स्कूल, ने बताया कि ये समय जल्द फैसला लेने का है । अभिवावको, बच्चो और अधियापको सभी एक पहेली में, जिसका जवाब किसी के पास नही है। समय बीता जा रहा है और बच्चो को यह समय खराब हो रहा है, और उनके सामने आने वाले भविष्य में क्या करना है, ये भी उन्हें नहीं पता है । किसी भी विद्यालय या देश का भविष्य बच्चे ही होते हैं तो उनके स्वास्थ्य के प्रति किसी प्रकार की असुरक्षा नहीं रखी जाएगी श्रीमती शिवानी त्रिपाठी ने बताया कि इस प्रकार के विचारात्मक कार्यक्रमों के आधार पर ‘युविया डी आइडिया’ संस्था का उद्देश्य 'शिक्षा और समृद्धि' के क्षेत्र में एक अंतर लाना है। हमारा उद्देश्य डिजिटल कनेक्टिविटी का उपयोग करके स्कूल स्तर पर ग्रामीण-शहरी शैक्षिक विभाजन को पाटना है। युविया डी आइडिया - ज्ञान चाहने वालों को ज्ञान प्रदाताओं के साथ जोड़ना है ताकि प्रौद्योगिकियों के माध्यम से सामाजिक बातचीत के माध्यम से समुदायों में सकारात्मक बदलाव लाया जा सके। अभिभावकों की छात्रों की चिंताओं के बारे में चर्चा करते हुए डॉ सुमति सिंह ने कहा कि अभिभावकों की परेशानी सही है क्योंकि बच्चों के भविष्य के बारे में सोचते हुए उनके स्वास्थ्य के बारे में सोचते हुए कोई भी अभिभावक बच्चों को विद्यालय में बैठकर परीक्षा देने के लिए अनुमति नहीं देना चाहता, क्योंकि इस कोरोना काल में कब महामारी किस समय बच्चों को छू जाए और कब वे इस पर महामारी से ग्रसित हो जाए, यह कोई कह नहीं सकता। हालांकि, उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही इसके बारे में कोई निर्णय लेगी और एक ऐसा तरीका ढूँढा जाएगा जिससे बच्चों के भविष्य पर कोई संकट ना आए। डॉक्टर सपना अग्रवाल ने बच्चों की सुरक्षा के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बच्चों की सुरक्षा को पूरी तरह से ध्यान में रखा जाएगा। उनकी सुरक्षा ही सर्वोपरि है । डॉक्टर सपना अग्रवाल ने आगे कहा कि बच्चों को वैक्सीनेशन का भी एक निश्चित कार्यक्रम तैयार किया जाना चाहिए जिससे बच्चे समय से वैक्सीन लगवा सके किंतु भारत में इतने कम समय में सभी बच्चों को वैक्सीनेशन करना संभव नहीं हो पाएगा। यह एक कठिन लक्ष्य दिखाई दे रहा है। बच्चों की परीक्षा प्रारूप के बारे में चर्चा की गई कि परीक्षा का तरीका विकल्पात्मक रखा जाए या विषयगत। बच्चों के कक्षा 12 के पश्चात बच्चों के भविष्य के लिए अनेक रास्ते खुल जाते हैं । कक्षा 12 के अंकों के आधार पर ही या विषय के आधार पर ही आगे का भविष्य निर्धारित किया जाता है तो बिना परीक्षा के तो उन्हें आगे पास कर पाना सही नहीं होगा । परीक्षा तो अवश्य होनी चाहिए । सीबीएसई और सरकार यह तय करेगी कि परीक्षा का प्रारूप कैसा होना चाहिए। इसके लिए हो सके तो बहुविकल्पात्मक आधार पर ही प्रश्न पत्र का निर्माण किया जाए । देवव्रत विश्वास जी ने बच्चों को लगातार आत्ममंथन और परीक्षा से स्वयं को जांचने के बारे में कहा कि जिस प्रकार प्रकृति प्रतिदिन हमारी परीक्षा लेती है तो उसी प्रकार से हमें जीवन में इन परीक्षाओं के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए और बोर्ड परीक्षा के लिए भी लगातार प्रयास करते रहना चाहिए, तैयारी को बनाए रखना चाहिए।

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